AdSense

क्रिसमस पर अनुच्छेद । Ayushhindi on Christmas in Hindi

क्रिसमस पर
अनुच्छेद । Ayushhindi on Christmas in Hindi Language!

प्रस्तावना:

क्रिसमस का त्योहार न केवल भारत में, वरन् सम्पूर्ण विश्व में अत्यन्त उल्लास, उमंग, आस्था एवं प्रसन्नता के साथ मनाया जाता है ।

धार्मिक महत्त्व:

 क्रिसमस का त्योहार ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीहजी के जीवन से सम्बन्धित है ।

25 दिसम्बर के पवित्र दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था । इसी दिन से ईसवी सन् का आरम्भ माना जाता है । कहा जाता: है कि 25 दिसम्बर की रात्रि को ईसा मसीह का जन्म येरूशलम के बैतलहम में एक अस्तबल में हुआ था । उनकी मां ने साधारण कपड़ों में लिटा दिया था ।

 स्वर्ग के दूतों ने उन्हें एक महान् आत्मा बताया और कहा कि-ईश्वर ने उन्हें इस धरती पर मुक्ति प्रदान करने हेतु भेजा है । ईसा की गाता धर्मपरायण थीं । वे ईसा की तरह ही गरीबों पर होने वाले अत्याचारों को देखकर दुखी हो जाया करती थीं ।

 ईसा की शिक्षा यहूदी पाठशाला में हुई थी । वे धर्मज्ञान एवं धर्म की वास्तविकता को जानने की कोशिश किया करते थे । ईसा के गुरुजन उनके प्रश्नों का उत्तर देने में अपने आपको असमर्थ पाते थे । वे ज्ञान की खोज में भारतवर्ष भी आये थे । उन्होंने सामान्य जनता के लिए एक नये धर्म का सूत्रपात किया, जिसके कारण धनिक तथा पूंजीपति एवं पुरोहित वर्ग उनसे नाराज रहा करता था ऐसा भी कहा जाता है कि उन्होंने

पूंजीपतियों के विरोध में हमेशा यही कहा था: ”चाहे ऊंट सुई के छेद से निकल जाये, किन्तु धनवानों के लिए स्वर्ग एक कल्पना है ।” ईसा के घोर विरोधियों ने उनके हाथ-पांवों में कीलें ठुकवाकर उन्हें कांटों का मुकुट पहनाया और क्रॉस पर लटका दिया । ईसा ने अपने सिद्धान्तों का जो प्रचार किया, उनसे जनता बहुत प्रभावित हुई । कहा जाता है कि ईसा ने अपने घोर शत्रुओं को भी माफ कर दिया था ।

तैयारियां:

 ऐसे महान् आत्मा ईसा का जन्म दिवस इसाईयों द्वारा अत्यन्त धूमधाम से मनाया जाता है । उनके अनुयायी इस दिन नये कपड़े पहनकर, सज-धजकर गिरिजाघर जाते हैं । उनके अवतरण दिवस पर वे प्रार्थनाएं करते हैं ।

 अपने घरों तथा गिरिजाघरों की सजावट करते हैं । रिश्तेदारों व इष्टमित्रों को शुभकामनाएं भेजते हैं । चर्च और गिरिजा में ईसा के जन्म सम्बन्धी झांकियां निकाली जाती हैं । बिशप, पादरी प्रवचन देते हैं । बड़े दिन की हर सुबह चर्च में जाकर ईसाई समुदाय प्रार्थना करता है ।

 एक-दूसरे के घर मिठाइयां भेजी जाती हैं । ईसा की तरह सत्य और मनुष्यता की राह पर चलने का संकल्प लेते हैं । वे अपने-अपने घरों में रोशनी करते हैं । क्रिसमस ट्री सजाते हैं । यह त्योहार 25 दिसम्बर से लेकर नये वर्ष तक अत्यन्त धूमधाम से मनाया जाता है यह भी कहा जाता है कि मरने के तीसरे दिन ईसा जीवित हो उठे थे । ईसाई समुदाय ”गुड फ्रायडे” भी मनाता है । इस दिन ईसा पुन: जीवित हो गये थे । ईस्टर उनके यहां शोक का प्रतीक है; क्योंकि ईस्टर के दिन शुक्रवार को ईसा को सलीब पर लटकाया गया था । क्रिसमस के दिन कुछ दानी लोग सांताक्रुज बनकर बच्चों को उपहार बांटते हैं ।

उपसंहार:

 यह सत्य है कि इस संसार में कई महान् पुरुष जन्मे हैं, जिन्होंने अपने कार्यो से समस्त संसार को,

मानव-समाज को आदर्शो का रास्ता दिखाया, जो मानवता के पुजारी थे, सहृदय आत्मा थे । ऐसे ही महापुरुष थे-ईसा मसीह । ईसा ने मनुष्यता का प्रेरक सन्देश सम्पूर्ण मानवता को दिया ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ